// // Leave a Comment

प्रभु भक्ति श्रद्धा विश्वास का फल Devotion & Faith


एक बार लक्ष्मी और नारायण धरा पर घूमने आए, कुछ समय घूम कर वो विश्राम के लिए एक बगीचे में जाकर बैठ गए। 
नारायण आंख बंद कर लेट गए, लक्ष्मी जी बैठ नज़ारे देखने लगीं।
थोड़ी देर बाद उन्होंने देखा एक आदमी शराब के नशे में धुत गाना गाते जा रहा था, उस आदमी को अचानक ठोकर लगी, ......
तो उस पत्थर को लात मारने और अपशब्द कहने लगा,
 लक्ष्मी जी को बुरा लगा, अचानक उसकी ठोकरों से पत्थर हट गया, वहां से एक पोटली निकली उसने उठा कर देखा तो उसमें हीरे जवाहरात भरे थे, वो खुशी से नाचने लगा और पोटली उठा चलता बना।

लक्ष्मी जी हैरान हुई, उन्होंने पाया ये इंसान बहुत झूठा, चोर और शराबी है।
सारे ग़लत काम करता है, इसे भला ईश्वर ने कृपा के काबिल क्यों समझा, उन्होंने नारायण की तरफ देखा, मगर वो आंखें बंद किये मगन थे।
तभी लक्ष्मी जी ने एक और व्यक्ति को आते देखा, बहुत ग़रीब लगता था, मगर उसके चेहरे पे तेज़ और ख़ुशी थी, कपडे साफ़ मगर पुराने थे, तभी उस व्यक्ति के पांव में एक बहुत बड़ा शूल यानि कांटा घुस गया, ख़ून के फव्वारे बह निकले, उसने हिम्मत कर उस कांटे को निकाला, पांव में गमछा बाँधा, प्रभु को हाथ जोड़ धन्यवाद दे लंगड़ाता हुआ चल दिया। इतने अच्छे व्यक्ति की ये दशा। उन्होंने (लक्ष्मी जी ने) पाया नारायण अब भी आँख बंद किये पड़े हैं मज़े से।

उन्हें अपने भक्त के साथ ये भेद भाव पसंद नहीं आया, उन्होंने नारायण जी को हिलाकर उठाया, नारायण आँखें खोल मुस्काये। लक्ष्मी जी ने उस घटना का राज़ पूछा। तो नारायण ने जवाब में कहा।

लोग मेरी कार्यशैली नहीं समझे। मैं किसी को दुःख या सुख नहीं देता वो तो इंसान अपनी करनी से पाता है।

यूं समझ लो मैं एक सिर्फ ये हिसाब रखता हूं।
किसको किस कर्म के लिए कब या किस जन्म में अपने पाप या पुण्य अनुसार क्या फल मिलेगा।

जिस अधर्मी को सोने की पोटली मिली, दरअसल आज उसे उस वक़्त पूर्व जन्म के सुकर्मों के लिए, पूरा राज्य भाग मिलना था मगर उसने इस जन्म में इतने विकर्म किये कि पूरे राज्य का मिलने वाला खज़ाना घट कर एक पोटली सोना रह गया।

और उस भले व्यक्ति ने पूर्व जन्म में इतने पाप करके शरीर छोड़ा था कि आज उसे शूली यानि फांसी पर चढ़ाया जाना था मगर इस जन्म के पुण्य कर्मो की वजह से शूली एक शूल में बदल गई।

अर्थात 
ज्ञानी को कांटा चुभे तो उसे कष्ट होता है, दर्द तो होता है, मगर वो दुखी नहीं होता। दूसरों की तरह वो परमात्मा को नहीं कोसता, बल्कि हर तकलीफ को प्रभु इच्छा मान इसमें भी कोई भला होगा मानकर हर कष्ट सह कर भी परमात्मा का धन्यवाद करता है।

तो आगे से आप भी किसी तकलीफ में हो तो विचारिये?
सिर्फ़ कष्ट में हैं या दुःखी हैं।

सच्चे दिल से प्रभु पर विश्वास से आपकी आधी सज़ा माफ़ हो जाती है और बाक़ी तकलीफ सहने के लिए परमात्मा आपको उसे ख़ुशी ख़ुशी झेलने की हिम्मत और मार्गदर्शन देते हैं।

0 comments:

Post a Comment